
भोजपुरी प्रसंग गायकी के बेताज बादशाह बक्सर के नवरत्न गायत्री ठाकुर (व्यास जी)
आलेख:- लेखन एवम संयोजन-- अभिजीत, सूर्यप्रकाश
कवनो भी समाज आपन बोली अउर आपन लोक गायकी से ही जानल जाला। लोक गायकी में संस्कार भरे के जिम्मेदारी उ लोक गायकी के गवनईया लोग के होला जे आपन पूरा जिनगी ही ओमे लगा देला। भोजपुरी गायकी में संस्कार और सरोकार जियावे खातिर कतने गवनईया लोग आपन जिनगी लगा देले , ओही में से एगो बानी गायत्री जी ठाकुर।
जीवन परिचय--
भोजपुरी के इतिहास और भूगोल के बदले वाला ई गवैया के जनम 7 नवंबर 1950ई. के बक्सर जिला के दुभा गांव में भईल रहे। बचपन में ही माई के देहांत हो गईल ओकरा बाद गायत्री जी के लालन-पालन इहाँ के बड़ भाई और बाबूजी कइलीं। गायत्री जी अर्जुनपुर हाई स्कूल से दसवां और सतीश चंद्र कॉलेज बलिया से स्नातक पास कईली। पढ़ाई पूरा कईला के बाद 1969ई. में गायत्री जी कोलकाता में सनातन धर्म स्कूल में कुछ दिन मास्टरी के भी काम कइनी। मास्टरी के बाद ईहां के नौकरी हिंद मोटर कम्पनी में लाग गईल। भले गायत्री जी के नौकरी मोटर कम्पनी में लाग गईल होखे लेकिन पीतल के झाल पीटे वाला आदमी के लोहा के कारखाना में आखिर कवन काम? कुछे दिन के नौकरी के बाद ईहां के हिंद मोटर के नौकरी छोड़के गायकी के क्षेत्र में घुस गएनी अउर फिर गायकी के ही जिनगी दे देनी।
गायत्री जी के वैवाहिक जीवन खुशहाल ना रहे। शादी के कुछ साल बाद ही इहाँ के पत्नी स्वर्गवासी हो गइली जवना से गायत्री जी के गहरा सदमा लागल। ओ दौरान अक्सर ई वियोग गायत्री जी के गायकी में लउके लागल। समाज और परिवार के दबाव के बाद गायत्री जी के दुबारा शादी करे के पड़ल। उम्र के बीच पड़ाव में ही गायत्री जी के लिवर सिरोसिस नाम के बीमारी जकड़ लेलस पर इहाँ के गायकी पर कवनो अंतर ना आईल। बीमारी से लंबा लड़ाई चलला के बाद मार्च 2014 ई. में गायत्री जी स्वर्गवासी हो गइनी पर आज भी उहाँ के रचना हमनी सबके याद में जिंदा बा।
भोजपुरी गायकी के नया रूप--
पहले के दौर में लोग हिंदी भोजपुरी मिला के गावत रहे पर गायत्री ठाकुर ही उ सख्श रहीं जे खाली भोजपुरी पर आपन रचना के नया रफ्तार देनी। भोजपुरी में अलंकार का होला, शैली का होला,सब इहाँ के ही बतवनी। समय अइसन आएल की गवनई माने गायत्री और गायत्री मने गवनई हो गइल। एतना जनता से प्रेम मिलला के बाद भी गायत्री जी कहत रहीं
"ना गाला बा ना काला बा, फिर जाने कवना बात के हाला बा"
संस्कार के सीमा--
भोजपुरी गायकी पर 55 साल राज करे वाला ई गवनाइया कबो आपन संस्कार के सीमा से बाहर ना निकलले। पईसा-कौड़ी के फेर में कभी भी इहाँ के आपन जमीर ना बेचनी। इहे कारण बा कि गायत्री जी के गाना में फूहड़पन ना रहे। गायत्री जी के ज्यादातर गीत धार्मिक किताब के प्रसंग से जुड़ल रहत रहे। आज के गायकी पर इहाँ के बड़ा चिंता जतावत रहीं अउर हमेशा समाज में खुल के बोलत रहीं। गायत्री जी के कहनाम रहे कि
दु चीज में भारी गिरावट आईल बा
"एगो देश के राजनीति में दुसरका भोजपुरिया गीत में"
फूहड़पन गायकी के हमेशा से विरोध में रहे वाला ई व्यास हमेशा एक ही बात कहत रहीं
जवना के काम नईखे ओकरे बेसी दाम बा,
दूध दही से महंगा बेचाता एहिजा जाम बा।
रामायण से प्रेम--
गायत्री जी अपना गायकी से ना जाने केतने अनपढ़ श्रोता के भी रामायण और महाभारत के प्रसंग याद करवा देले होखम। रामायण प्रसंग ईहां के प्रमुख गायकी में शामिल रहे जेमे राम केवट प्रसंग, सीता राम विवाह, रावण वध, धनुष यज्ञ और लक्ष्मण परशुराम संवाद आज भी ईहां के गायकी के अमर बनवले बा।
सम्मान--
वर्ष 1986ई. में देश के पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ईहां के रामायण सम्राट के नाम देनी। बंगाल के राज्यपाल द्वारा भोजपुरी शिरोमणि से भी ईहां के सम्मानित कईल गइल। गायत्री ठाकुर जी के भोजपुरी रतन और भोजपुरी चक्रवाती सम्मान से भी नवाजल जा चुकल बा। आपन अलग गायकी के वजह से इहाँ के व्यास के भी उपाधि कम उम्र में ही मिल गइल।
अश्लील मुक्त भोजपुरी--
भोजपुरिया भाषा के अश्लीलता से मुक्त करे खातिर कतने संगठन काम कर रहल बा। सब संगठन से ईहे अनुरोध बा कि बस अश्लील गीत गवनई बंद करईला से भोजपुरी समाज अश्लील मुक्त ना हुई एकरा खातिर हमनी के आपन पुरान गायकी अउर पुरान गायक लोग के भी जिंदा करेके पड़ी जेमे गायत्री ठाकुर जी के नाम सबसे पहिले रही।
उम्मीद बा ई नया सीरीज के पहिला भाग पसन्द आएल होइ। सुझाव अउर जवाब के प्रतीक्षा बा कमेंट में। काल भेंट होइ फेर तब लाइक, कमेंट और शेयर करे के काम बा।
साभार:-DEKHOBUXAR
